कर्ज़ में डूबी जनता
भाजपा सरकार ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का दावा करती है। लेकिन सच्चाई यह है कि उत्तर प्रदेश का हर व्यक्ति ₹37,500 का कर्ज़दार है।
जनता पूछ रही है—क्या ये आंकड़ा भी उस "विकास" में जोड़ा जाता है, जिसकी झूठी डींगे भाजपा हर मंच से हाँकती है?
जुमला बना "15 लाख"
अगर भाजपा का मशहूर "15 लाख" वाला वादा जुमला साबित न होता, तो आज कर्ज़ घटाने के बाद भी हर नागरिक के खाते में ₹14,62,500/- होते।
लेकिन भाजपा ने जनता की जेब खाली कर दी और पूंजीपतियों की तिजोरी भर दी।
योगी सरकार = डबल इंजन नहीं, डबल बोझ
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार कहती है कि "डबल इंजन" से विकास हो रहा है।
असलियत:
बेरोजगारी चरम पर है।
किसान कर्ज़ और फसल की लूट में दबा है।
अस्पतालों में इलाज नहीं, स्कूलों में टीचर नहीं।
और हर नागरिक पर 37,500 का बोझ।
ये डबल इंजन नहीं, जनता पर डबल बोझ है।
भाजपा सहयोगी दल: गुनाह में बराबर के हिस्सेदार
भाजपा अकेले दोषी नहीं है।
उसके सहयोगी दल—राजभर, निषाद पार्टी, अपना दल और बाकी एनडीए के नेता—सब जनता के गुनाहगार हैं।
चुनाव के वक्त ये भाजपा का हाथ थामकर "जनता का भला" करने का ढोल बजाते हैं।
सत्ता का स्वाद चखने के बाद जनता की समस्याओं पर चुप्पी साध लेते हैं।
मंत्री पद और मलाई की कुर्सी मिलते ही इनके लिए महंगाई, बेरोजगारी और कर्ज़ सब बेमानी हो जाते हैं।
जनता पूछ रही है—
👉 अगर भाजपा गलत है तो आप साथ क्यों हैं?
👉 अगर भाजपा जनता से वादाखिलाफी कर रही है तो आप मौन क्यों हैं?
👉 क्या सिर्फ़ कुर्सी के लिए आपने जनता के दर्द को भुला दिया?
अंधभक्तों और एनडीए का गठजोड़
भाजपा के अंधभक्त कहते हैं—"मोदी-योगी सही कर रहे हैं"।
सहयोगी दल कहते हैं—"हम जनता के लिए हैं"।
लेकिन हकीकत यह है कि ये सब एक ही थाली के चट्टे-बट्टे हैं।
जनता को मिल रहा है सिर्फ़ दर्द और कर्ज़, और इन्हें मिल रही है सिर्फ़ सत्ता और मलाई।
नतीजा
भाजपा हो या उसके सहयोगी दल—सब जनता की आँखों में धूल झोंक रहे हैं।
जनता पूछ रही है:
कब तक जुमलों से बहलाया जाएगा?
कब तक कर्ज़ में डुबोकर ट्रिलियन डॉलर की हवाई बातें होंगी?
कब तक सहयोगी दल सत्ता की मलाई खाते रहेंगे और जनता भूखी-प्यासि रहेगी?
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