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सोशल मीडिया खुलासा: मोदी सरकार ने बिना परीक्षा 63 लोगों को IAS बना दिया!

 


नई दिल्ली।

देश की सबसे बड़ी और कठिन मानी जाने वाली UPSC परीक्षा को दरकिनार कर, मोदी सरकार ने 2018 में एक ऐसा कदम उठाया जिससे अब तक लाखों युवाओं का विश्वास हिल गया है।

सोशल मीडिया पर वायरल हुई एक सूची ने बड़ा खुलासा किया है कि लेटरल एंट्री स्कीम के तहत केंद्र सरकार ने बिना परीक्षा 63 लोगों को सीधे IAS बना दिया।



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📢 सोशल मीडिया का दावा


यह सूची सबसे पहले सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर सामने आई, जहाँ यूज़र्स ने सरकार से पारदर्शिता पर सवाल उठाए।

लिस्ट में 63 नाम साफ़ तौर पर दर्ज हैं – इनमें सौरभ मिश्रा, एम्बर दुबे, राजीव सक्सेना, सुजीत कुमार बाजपेयी, अरुण गोयल, दिनेश दयानंद जगदाले जैसे नाम शामिल हैं।


👉 सोशल मीडिया यूज़र्स का कहना है कि “जब लाखों युवा दिन-रात UPSC की तैयारी करते हैं, तब सरकार अपने चहेतों को शॉर्टकट से IAS बना देती है।”



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🏛️ कैसे हुआ लेटरल एंट्री का खेल?


2018 में मोदी सरकार ने लेटरल एंट्री स्कीम लागू की।


इसके तहत प्राइवेट सेक्टर और अन्य विभागों से चुनिंदा लोगों को सीधे मंत्रालयों और अहम पदों पर बिठाया गया।


इनको IAS अफ़सर के बराबर दर्जा और अधिकार दिए गए।


सोशल मीडिया लीक से अब यह साबित हो गया है कि सरकार ने यह प्रक्रिया छुपाकर चलाई और आम जनता को सच्चाई नहीं बताई।




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⚡ क्यों विवाद में है यह फैसला?


1. आरक्षण की अनदेखी – SC/ST/OBC और EWS युवाओं को इसमें कोई हिस्सा नहीं दिया गया।



2. मेहनत करने वाले छात्रों से धोखा – हर साल लाखों उम्मीदवार UPSC परीक्षा देते हैं, लेकिन उनकी मेहनत को धता बता दिया गया।



3. गुप्त लिस्ट – सरकार ने आधिकारिक रूप से यह लिस्ट सार्वजनिक नहीं की, लेकिन अब सोशल मीडिया ने पर्दाफाश कर दिया है।





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🧭 बीजेपी सरकार पर सवाल


क्या यह भ्रष्टाचार और पक्षपात का खुला उदाहरण नहीं है?


क्या मोदी सरकार का मक़सद सिर्फ़ अपने चहेतों को IAS की कुर्सी देना है?


अगर IAS बनने के लिए परीक्षा ही ज़रूरी नहीं रही, तो लाखों युवाओं की तैयारी किसलिए?



सोशल मीडिया पर यूज़र्स लिख रहे हैं:

“यह सिर्फ़ युवाओं के साथ धोखा नहीं, बल्कि संविधान और आरक्षण व्यवस्था पर सीधा हमला है।”



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📌 निष्कर्ष


सोशल मीडिया लीक ने यह स्पष्ट कर दिया है कि मोदी सरकार ने बिना परीक्षा 63 लोगों को IAS बना दिया।

यह कदम न केवल लोकतंत्र और पारदर्शिता के ख़िलाफ़ है, बल्कि उन लाखों युवाओं के साथ भी अन्याय है जो अपनी ज़िंदगी UPSC की तैयारी में झोंक देते हैं।


👉 अब जनता पूछ रही है – क्या यही है बीजेपी का "नया भारत", जहाँ IAS बनने के लिए न मेहनत चाहिए, न परीक्षा, बस सत्ता की कृपा चाहिए?



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✍️ (यह खबर सोशल मीडिया पर वायरल लीक लिस्ट और जनमानस की प्रतिक्रियाओं पर आधारित है। क्रेडिट – सोशल मीडिया यूज़र्स / डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म्स)


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