सोशल मीडिया पर एक डाटाबेस वाली खबर चर्चा में है। कहा जा रहा है कि महाराष्ट्र के बीड जिले में सैकड़ों श्रमिक और गर्भवती महिलाओं के लिए दिए गए निर्देश दिए गए हैं, ताकि वे बिना किसी निर्देश के काम कर सकें।
सरकार का कहना है कि ऑपरेशन केवल "मेडिकल ड्रायर" के कारण हुआ। लेकिन सोशल मीडिया पर श्रमिक महिलाओं और स्थानीय लोगों पर आरोप लगाया जा रहा है कि यह सब लोग गरीबी, दबाव और आर्थिक शोषण की वजह से हुए हैं।
👉 सवाल ये है कि क्या श्रमिक महिलाओं के शरीर में अब सिर्फ मसाला और मशीनरी की मशीन है?
👉क्या सरकार इतनी अंधी हो चुकी है कि औरतों की कोख की इमारतें भी बंगले के मुनाफ़े में सोखली जा रही हैं?
अगर ये सच है तो ये इंसान पर धब्बा है। और यदि यह आवश्यक है तो सरकार को तत्काल अध्ययन जांच करानी चाहिए। अब और ध्यान नहीं।
✊ दोस्तों, इसे शेयर करें ताकि बीड की औरतों की कहानी तक पहुंचें और इस शर्मनाक प्रथा का अंत हो।
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⚠️ नोट: यह जानकारी सोशल मीडिया पर प्रसारित चर्चाओं से ली गई है। आज़ाद न्यूज़ न्यूज़ इस खबर की पुष्टि नहीं करता है। सरकार और प्रशासन से अंतिम सत्यता की पुष्टि की मांग है।
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