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औरंगजेब की क्रूरता: इतिहास और मिथक की सच्चाई

 



मुगल सम्राट औरंगजेब का शासनकाल (1658-1707) भारतीय इतिहास में सत्ता संघर्ष, धार्मिक कट्टरता और क्रूरता के लिए जाना जाता है। उनके द्वारा अपने परिवार के सदस्यों और विरोधियों के साथ किए गए व्यवहार को लेकर कई कहानियाँ प्रचलित हैं। हाल ही में, छत्रपति संभाजी के जीवन पर बनी फिल्म "छावा" के बाद औरंगजेब की क्रूरता को लेकर नई बहस छिड़ गई है। खासतौर पर उनके बड़े भाई दारा शिकोह की हत्या और उसके कटी हुई सिर को उनके पिता शाहजहाँ के पास भेजने की घटना सबसे ज्यादा चर्चा में है। लेकिन क्या यह सच है या महज एक मिथक? आइए, ऐतिहासिक तथ्यों और प्रमाणों के आधार पर इसकी पड़ताल करें।


सत्ता संघर्ष और औरंगजेब का परिवार के साथ व्यवहार

शाहजहाँ के चार पुत्र थे— दारा शिकोह, शाह शुजा, मुराद बख्श और औरंगजेब। दारा शिकोह सबसे बड़े थे और शाहजहाँ के पसंदीदा पुत्र थे। वे सूफी विचारधारा के समर्थक थे और हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए प्रयासरत थे। उन्होंने उपनिषदों का फारसी में अनुवाद किया ताकि वे इस्लामिक विद्वानों द्वारा पढ़े जा सकें। दूसरी ओर, औरंगजेब धार्मिक रूप से कट्टर और राजनीतिक रूप से महत्वाकांक्षी थे। उन्हें लगता था कि शाहजहाँ के बाद गद्दी दारा शिकोह को ही मिलेगी।

1657 में शाहजहाँ बीमार पड़े, जिसके बाद उत्तराधिकार के लिए संघर्ष छिड़ गया। 1658 में सामूगढ़ की लड़ाई में औरंगजेब ने दारा शिकोह को पराजित कर दिया। इसके बाद, दारा शिकोह भागते-भागते गुजरात पहुंचे, लेकिन वहाँ से भी भागकर अंततः अफगानिस्तान की ओर बढ़े। उन्हें मार्च 1659 में गिरफ्तार कर लिया गया और दिल्ली लाया गया।


क्या औरंगजेब ने शाहजहाँ को दारा शिकोह का सिर भेजा था?

यह घटना इतिहास में काफी चर्चित है, लेकिन इसके ठोस प्रमाण नहीं मिलते। कई ऐतिहासिक स्रोतों के अनुसार, दारा शिकोह को 30 अगस्त 1659 को मौत की सजा दी गई। इस हत्या के पीछे धार्मिक कारण भी बताए जाते हैं, क्योंकि औरंगजेब ने दारा को "इस्लाम विरोधी" घोषित करवाया और उलेमाओं से उसकी हत्या को उचित ठहराने के लिए फतवा जारी करवाया।

लेकिन क्या औरंगजेब ने वाकई दारा शिकोह का कटा हुआ सिर शाहजहाँ के पास भेजा था?

  1. सच्चाई: कुछ इतिहासकार, जैसे कि खफी खान और सईद अहमद खान, इस घटना का समर्थन करते हैं और कहते हैं कि औरंगजेब ने यह क्रूर कार्य किया था।
  2. संभावित मिथक: कई मुगलकालीन दस्तावेज और फ़ारसी ग्रंथ इस बात का स्पष्ट प्रमाण नहीं देते कि औरंगजेब ने यह किया था। कुछ विद्वानों का मानना है कि यह कहानी अंग्रेज़ों और बाद में मराठा इतिहासकारों द्वारा गढ़ी गई ताकि औरंगजेब की छवि को और अधिक क्रूर दिखाया जा सके।

हालाँकि, यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि औरंगजेब ने दारा शिकोह की हत्या करवाकर अपने पिता शाहजहाँ को पूरी तरह अकेला छोड़ दिया था


औरंगजेब के अन्य क्रूर फैसले

औरंगजेब ने सिर्फ अपने भाई को नहीं, बल्कि सत्ता के लिए अपने अन्य भाइयों और यहां तक कि अपने बेटों को भी नहीं छोड़ा।

  • शाह शुजा: औरंगजेब ने उसे भी पराजित किया और अंततः उसकी हत्या करवा दी गई।
  • मुराद बख्श: औरंगजेब ने अपने इस भाई को विश्वास में लेकर मदद ली और बाद में धोखा देकर उसे कैद करवा दिया और 1661 में उसकी हत्या करवा दी।
  • शाहजहाँ: औरंगजेब ने अपने पिता शाहजहाँ को आगरा के किले में कैद कर दिया, जहाँ 1666 में उनकी मृत्यु हो गई

छत्रपति संभाजी के प्रति क्रूरता: सच्चाई क्या है?

छत्रपति संभाजी शिवाजी महाराज के पुत्र थे, जिन्हें 1689 में औरंगजेब ने गिरफ्तार कर लिया। कई स्रोतों में कहा जाता है कि औरंगजेब ने उन्हें इस्लाम कबूल करने का आदेश दिया, लेकिन जब उन्होंने इनकार किया, तो उन्हें यातनाएँ दी गईं। संभाजी की हत्या बेहद क्रूर तरीके से की गई थी। उनकी आँखें फोड़ दी गईं, जुबान काट दी गई और शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर तुलापुर नदी में फेंक दिया गया।

इस घटना की पुष्टि कई ऐतिहासिक स्रोतों द्वारा होती है और यह निश्चित रूप से सत्य है।


निष्कर्ष: सच्चाई और मिथक का फर्क

  1. सत्य:

    • औरंगजेब ने सत्ता के लिए अपने भाइयों और पिता को हटाया।
    • दारा शिकोह की हत्या और उन्हें "इस्लाम विरोधी" घोषित करना ऐतिहासिक रूप से सत्य है।
    • संभाजी महाराज की नृशंस हत्या की पुष्टि ऐतिहासिक स्रोतों से होती है।
  2. संभावित मिथक:

    • दारा शिकोह का सिर शाहजहाँ को भेजा गया था, इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं मिलता।
    • कुछ विद्वानों का मानना है कि औरंगजेब को ज्यादा क्रूर दिखाने के लिए कुछ बातें बाद में जोड़ी गईं।

तो, औरंगजेब एक क्रूर शासक था, लेकिन उसके बारे में कुछ कथाएँ बढ़ा-चढ़ाकर भी पेश की गई हैं। इतिहास को निष्पक्ष रूप से देखने की जरूरत है।

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