अखिलेश यादव बोले – अब नहीं चाहिए भाजपा!
प्रयागराज | महाकुंभ में सरकार ने भारी मुनाफे के दावे कर दिए, तीस करोड़ की कमाई का आंकड़ा पेश कर दिया, लेकिन उन परिवारों का क्या जिनके अपने इस मेले की भीड़ में खो गए? जिनके घरों में आज भी किसी खोए हुए बेटे, भाई या पिता की वापसी की उम्मीद में रोशनी जली हुई है, क्या उनके दर्द का भी कोई हिसाब है?
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सरकार के इन दावों पर सवाल उठाते हुए भाजपा सरकार को घेरा है। उन्होंने कहा कि, "सरकार मुनाफे का झूठा प्रचार कर रही है, लेकिन उन परिवारों के आंसू पोछने कोई नहीं आया, जिनके अपने इस महाकुंभ में गुम हो गए। आखिर इनका जवाब कौन देगा?"
गुमशुदा अपनों के इंतजार में परिवार
महाकुंभ में गंगा स्नान के लिए आए वाराणसी के निवासी सुरेश मिश्रा पिछले 20 दिनों से लापता हैं। उनका बेटा रोहित प्रशासन के दफ्तरों के चक्कर काट रहा है, लेकिन कहीं से कोई जवाब नहीं मिल रहा। रोहित फूट-फूटकर रोते हुए कहता है, "सरकार को पैसों की गिनती करने से फुर्सत नहीं, लेकिन मेरा पिता कहां गया, इसका कोई जवाब नहीं? क्या हमें सिर्फ खोने के लिए छोड़ दिया गया है?"
ऐसे ही सैकड़ों परिवार अपने अपनों की तलाश में दर-दर भटक रहे हैं। लेकिन सरकार की प्राथमिकता क्या है? सिर्फ आंकड़े, मुनाफा और बड़े-बड़े दावे!
अखिलेश यादव ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा, "भाजपा सरकार सिर्फ झूठे आंकड़ों की राजनीति करती है। अगर सरकार के मुताबिक 30 करोड़ रुपये की कमाई हुई, तो इस पैसे का इस्तेमाल उन परिवारों के लिए क्यों नहीं किया गया, जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया? क्या ये सरकार सिर्फ पैसे कमाने के लिए आई है?"
प्रशासन की नाकामी और जनता का गुस्सा
महाकुंभ में सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम होने के सरकारी दावे किए गए थे। जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे, हजारों पुलिसकर्मी और कंट्रोल रूम बनाए गए थे, लेकिन फिर भी इतनी बड़ी संख्या में लोग कैसे लापता हो गए? और जो लोग खो गए, उनके बारे में कोई ठोस जानकारी क्यों नहीं दी जा रही?
गुमशुदगी के बढ़ते मामलों को लेकर परिजनों में गुस्सा है। एक पीड़ित परिवार की महिला ने कहा, "अब हमें भाजपा नहीं चाहिए। ये सरकार सिर्फ पैसों की बात करती है, जनता की नहीं। हमारे पति खो गए, हमारी दुनिया उजड़ गई, लेकिन सरकार के लिए यह कोई मुद्दा ही नहीं है।"
अखिलेश यादव ने उठाए कड़े सवाल
अखिलेश यादव ने ट्वीट कर लिखा,
"तीस करोड़ कमाने का झूठा हिसाब तो दे दिया, अब अपनों को खोने-गंवाने वालों को जवाब कब देंगे? परिवारवाले ही अपनों के गुम हो जाने का दर्द जानते हैं। अब परिजन कह रहे हैं – नहीं चाहिए भाजपा!"
कब मिलेगा न्याय?
परिजन सिर्फ इतना चाहते हैं कि सरकार उनके दर्द को समझे, खोए हुए अपनों की तलाश में पूरी गंभीरता से कदम उठाए। महाकुंभ में अव्यवस्थाओं की जांच हो और गुमशुदा लोगों की तलाश तेज़ की जाए।
समाजवादी पार्टी ने इस मुद्दे को विधानसभा में उठाने की बात कही है। अखिलेश यादव ने कहा कि "भाजपा सरकार अपनी नाकामी छुपाने के लिए आंकड़ों का खेल खेल रही है। लेकिन जनता अब सच समझ चुकी है। अगले चुनाव में जनता भाजपा को जवाब देगी।"
अंततः यह सवाल उठता है – क्यों हर बार प्रशासन की नाकामी का खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ता है? तीस करोड़ के झूठे आंकड़े दिखाने वालों को क्या कभी इन आंसुओं का हिसाब देना होगा?
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