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भारतीय शेयर बाजार में ऐतिहासिक गिरावट: आम जनता और मध्यम वर्ग पर प्रभाव

 



फरवरी 2025 भारतीय शेयर बाजार के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में दर्ज हो रहा है, जहां निवेशकों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है। इस गिरावट का सबसे अधिक प्रभाव आम जनता और मध्यम वर्ग पर पड़ा है, जिनकी बचत और निवेश पर प्रतिकूल असर पड़ा है।

शेयर बाजार की वर्तमान स्थिति

  • लगातार गिरावट: निफ्टी 50 ने फरवरी में 1.2% की गिरावट दर्ज की, जिससे यह लगातार पांचवें महीने गिरावट में रहा। यह 1996 के बाद से सबसे लंबी गिरावट है।

  • निवेशकों की संपत्ति में कमी: सितंबर 2024 से अब तक निवेशकों की संपत्ति में लगभग 1 ट्रिलियन डॉलर की कमी आई है, जो बाजार की कमजोरी को दर्शाता है।

गिरावट के प्रमुख कारण

  1. वैश्विक व्यापार तनाव: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कनाडा और मैक्सिको से आयात पर 25% शुल्क लगाने की घोषणा, जो 4 मार्च से प्रभावी होगी, ने वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंका बढ़ा दी है।

  2. विदेशी निवेशकों की बिकवाली: पिछले पांच महीनों में विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार से 3.11 लाख करोड़ रुपये निकाले हैं, जिससे बाजार पर दबाव बढ़ा है।

  3. रुपये की कमजोरी: फरवरी में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 87.4950 पर बंद हुआ, जो लगातार पांचवें महीने की गिरावट है।

  4. आर्थिक नीतियों पर सवाल: भाजपा सरकार की आर्थिक नीतियों की आलोचना हो रही है, जिसमें विपक्ष का आरोप है कि इन नीतियों की विफलता के कारण बाजार में गिरावट और रुपये की कमजोरी हो रही है।

आम जनता और मध्यम वर्ग पर प्रभाव

  • निवेश पर असर: मध्यम वर्ग के निवेशकों की बचत और निवेश पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है, जिससे उनकी वित्तीय स्थिरता प्रभावित हुई है।

  • रोज़गार और आय पर प्रभाव: बाजार की गिरावट से कंपनियों के मुनाफे में कमी आई है, जिससे नौकरियों में कटौती और वेतन वृद्धि में रुकावट की संभावना बढ़ गई है।

  • मुद्रास्फीति और महंगाई: रुपये की कमजोरी से आयातित वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि हुई है, जिससे आम जनता को महंगाई का सामना करना पड़ रहा है।

विशेषज्ञों की राय

विश्लेषकों का मानना है कि बाजार में स्थिरता लाने के लिए ठोस आर्थिक सुधारों की आवश्यकता है। इसके अलावा, वैश्विक व्यापार तनाव को कम करने और विदेशी निवेशकों का विश्वास बहाल करने के लिए सरकार को सक्रिय कदम उठाने चाहिए।

निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे घबराहट में आकर अपने निवेश न बेचें, बल्कि दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाएं और अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाएं ताकि जोखिम को कम किया जा सके।

सरकार की आर्थिक नीतियों की समीक्षा और आवश्यक सुधारों के माध्यम से ही बाजार में विश्वास बहाल किया जा सकता है, जिससे आम जनता और मध्यम वर्ग को राहत मिल सके।

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