इन बयानों के बाद, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अखिलेश यादव से माफी की मांग की है। भाजपा नेताओं का कहना है कि चुनाव जीतने पर आयोग सही लगता है, लेकिन हारने पर सवाल उठाए जाते हैं। केंद्रीय मंत्री एस.पी. सिंह बघेल ने कहा कि संवैधानिक संस्थाओं के खिलाफ इस तरह की बातें नहीं करनी चाहिए।
अखिलेश यादव ने प्रशासन पर भी आरोप लगाया कि उन्होंने समाजवादी पार्टी के बूथ एजेंटों को डराया-धमकाया और भाजपा समर्थकों को फर्जी मतदान की खुली छूट दी। उन्होंने कहा कि पुलिस-प्रशासन ने मतदाताओं के बीच डर का माहौल बनाकर मतदान को प्रभावित किया।
इन आरोपों और प्रत्यारोपों के बीच, चुनाव आयोग ने अखिलेश यादव को उनके बयानों के लिए नोटिस जारी किया है। आयोग ने उनसे स्पष्टीकरण मांगा है कि क्यों न उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए।
इस विवाद ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में हलचल मचा दी है, जहां एक ओर सत्तारूढ़ भाजपा अखिलेश यादव के बयानों की निंदा कर रही है, वहीं दूसरी ओर समाजवादी पार्टी चुनाव प्रक्रिया में धांधली के आरोप लगा रही है।
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