महाशिवरात्रि के मौके पर ताजमहल की सुरक्षा में एक बार फिर सेंध लग गई। अखिल भारतीय हिंदू महासभा महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष मीरा राठौर बालों में जूड़ा बनाकर उसके अंदर शिवलिंग छुपाकर ताजमहल में ले गईं।
मीरा राठौर ने दावा किया कि बुधवार सुबह 10 बजे ताजमहल में प्रवेश करने के बाद उन्होंने मेहमानखाने के पास शिवलिंग स्थापित किया और महाकुंभ से लाए गंगाजल से अभिषेक और पूजा की। इस दौरान उनके सहयोगियों ने पूरी घटना का वीडियो बनाया और सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया।
पूजा के बाद मीरा राठौर ने कहा, "मैं ताजमहल को गंगाजल से शुद्ध करने आई हूं। मैंने जूड़े में शिवलिंग और पूजा सामग्री छुपाकर लाई थी।"
सुरक्षा में बड़ी चूक या जानबूझकर ढील?
भारत की सबसे सुरक्षित ऐतिहासिक धरोहरों में से एक ताजमहल में इस तरह से शिवलिंग ले जाना और पूजा करना सुरक्षा एजेंसियों पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।
ताजमहल के अंदर धार्मिक प्रतीकों को ले जाने पर सख्त रोक है। प्रवेश के दौरान सुरक्षा जांच में महिलाओं के बैग स्कैन होते हैं, लेकिन जूड़े में बांधकर शिवलिंग ले जाने से यह साफ हो गया कि मौजूदा सुरक्षा व्यवस्था में खामियां हैं। अब ताजमहल पर बॉडी स्कैनर लगाने की मांग उठने लगी है।
BJP की नफरत की राजनीति का नतीजा?
यह घटना अब राजनीतिक रंग भी ले रही है। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि BJP और हिंदूवादी संगठनों के इशारे पर ऐसी घटनाएं कराई जा रही हैं ताकि ताजमहल को लेकर नया विवाद खड़ा किया जा सके।
BJP से जुड़े कई संगठनों ने पहले भी ताजमहल को 'तेजोमहालय' बताकर इसे हिंदू मंदिर घोषित करने की मांग उठाई थी। अब महाशिवरात्रि के मौके पर शिवलिंग ले जाकर पूजा करने की यह घटना भी एक सुनियोजित साजिश लग रही है, जो BJP की नफरत की राजनीति का हिस्सा हो सकती है।
वीडियो की सत्यता पर विवाद
ASI (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) के वरिष्ठ अधिकारी प्रिंस वाजपेयी का कहना है कि मीरा राठौर द्वारा वायरल किया गया वीडियो पुराना लग रहा है, क्योंकि बुधवार की CCTV रिकॉर्डिंग में ऐसा कोई दृश्य नहीं मिला।
वहीं, मीरा राठौर ने ASI और CISF को झूठा करार दिया। उन्होंने कहा, "यह वीडियो शिवरात्रि का ही है। सुरक्षा एजेंसियां हर बार हमारी पूजा को झूठा साबित करने की कोशिश करती हैं। अगर हमारा वीडियो फर्जी था, तो फिर पूरे दिन पुलिस या किसी अन्य सुरक्षा एजेंसी ने हमसे कोई संपर्क क्यों नहीं किया?"
CCTV और सुरक्षा एजेंसियां फेल?
ताजमहल में फेस रिकग्निशन तकनीक वाले CCTV कैमरे लगे हैं, फिर भी मीरा राठौर को पहचानने और ट्रैक करने में सुरक्षा एजेंसियां विफल रहीं। यह सवाल उठता है कि क्या प्रशासन जानबूझकर इन घटनाओं को नजरअंदाज कर रहा है?
निष्कर्ष
यह मामला सिर्फ सुरक्षा चूक का नहीं बल्कि बढ़ती सांप्रदायिक राजनीति का भी प्रतिबिंब है। अगर सच में सुरक्षा में इतनी बड़ी चूक हुई है, तो इसकी गंभीर जांच होनी चाहिए। लेकिन अगर यह सिर्फ BJP की राजनीतिक साजिश है, तो यह देश में धार्मिक ध्रुवीकरण को और बढ़ाने की कोशिश है।
भारत की ऐतिहासिक धरोहरों को सुरक्षित और गैर-राजनीतिक रखना बेहद जरूरी है, ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके और सांप्रदायिक तनाव न बढ़े।
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