पटना, [आज की तारीख, यानी 11 जुलाई 2025]: बिहार की राजनीतिक गलियारों में इस समय चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर की भूमिका को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। सूत्रों और जमीनी रिपोर्टों के अनुसार, यह दावा किया जा रहा है कि प्रशांत किशोर, जो अब अपनी 'जन सुराज' पार्टी के माध्यम से सक्रिय राजनीति में हैं, परोक्ष रूप से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के हितों की पूर्ति कर रहे हैं। इन दावों में यहां तक कहा गया है कि उन्हें भाजपा से फंडिंग मिल रही है, जिसका उद्देश्य बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राजनीतिक आधार को कमजोर करना और राज्य में भाजपा के लिए मार्ग प्रशस्त करना है।
आरोपों की पृष्ठभूमि
प्रशांत किशोर ने पूर्व में भाजपा सहित कई प्रमुख पार्टियों के लिए रणनीतिकार के रूप में काम किया है, लेकिन अपनी स्वतंत्र राजनीतिक पारी शुरू करने के बाद से उन पर लगातार 'इंडिया' गठबंधन को निशाना बनाने के आरोप लग रहे हैं। पत्रकारों द्वारा जुटाई गई जानकारी के मुताबिक, प्रशांत किशोर के सार्वजनिक बयान और 'जन सुराज' के अभियान अक्सर ऐसे होते हैं जो 'इंडिया' गठबंधन को कमजोर करते हैं और अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा को लाभ पहुंचाते हैं।
राजनीतिक विश्लेषक इन दावों को इस नजरिए से भी देख रहे हैं कि प्रशांत किशोर की गतिविधियां नीतीश कुमार के जनाधार में सेंध लगा सकती हैं। यह भाजपा के लिए बिहार में अपनी स्थिति को मजबूत करने का एक अवसर पैदा कर सकता है। इन आरोपों को तब और बल मिलता है जब यह देखा जाता है कि प्रशांत किशोर लगातार 'इंडिया' गठबंधन पर तीखे हमले करते हैं, जबकि वह इस बात को नजरअंदाज करते दिखते हैं कि केंद्र में भाजपा की सरकार है और अतीत में नीतीश कुमार की पार्टी, जनता दल (यूनाइटेड), भाजपा की सहयोगी रही है।
क्या है 'बी' टीम का एंगल?
अंदरूनी सूत्रों का दावा है कि प्रशांत किशोर की 'जन सुराज' पहल एक 'बी' टीम के तौर पर काम कर रही है, जिसका मकसद नीतीश कुमार की लोकप्रियता को कम करना और बिहार में एक नई राजनीतिक शक्ति स्थापित करना है, जो अंततः भाजपा के लिए फायदेमंद हो। इन दावों के अनुसार, भाजपा इस रणनीति के तहत प्रशांत किशोर को वित्तीय सहायता दे रही है ताकि वे बिहार में अपना प्रभाव बढ़ा सकें और 'इंडिया' गठबंधन की एकजुटता को कमजोर कर सकें।
प्रशांत किशोर का पक्ष
हालांकि, प्रशांत किशोर और उनकी पार्टी 'जन सुराज' इन आरोपों को लगातार खारिज करते रहे हैं। वे अपनी यात्रा को बिहार के जमीनी मुद्दों और लोगों के कल्याण पर केंद्रित बताते हैं। उनका कहना है कि वे बिहार में एक नई और बेहतर राजनीति स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और उनका किसी भी राष्ट्रीय दल से कोई संबंध नहीं है।
आगे क्या?
बिहार में आगामी चुनावों और राजनीतिक गतिविधियों के तेज होने के साथ, प्रशांत किशोर की भूमिका और उनकी पार्टी के उद्देश्यों पर बहस जारी रहने की संभावना है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इन आरोपों का उनकी राजनीतिक यात्रा पर क्या असर पड़ता है और क्या वे इन अटकलों के बीच अपनी 'जन सुराज' पार्टी को बिहार में स्थापित कर पाते हैं।
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